ले भाई ग्याडू चुन !
काँग्रेस के राजा को,
भाजपा के बाजा को,
फिर चुसे हुए आम को,
कागज़ में लिपटे हुए कलाम को,
तु जिसे भी जीतायेगा,
वो तेरे गीत नहीं गायेगा,
वह हमारे ताबूत में कील ठोकते हुए
दिल्ली के ही गीत गायेगा,
फिर भी जिसे चुनना है चुन,
पर मस्ती में अपना सर मत धुन !
काँग्रेस के राजा को,
भाजपा के बाजा को,
फिर चुसे हुए आम को,
कागज़ में लिपटे हुए कलाम को,
तु जिसे भी जीतायेगा,
वो तेरे गीत नहीं गायेगा,
वह हमारे ताबूत में कील ठोकते हुए
दिल्ली के ही गीत गायेगा,
फिर भी जिसे चुनना है चुन,
पर मस्ती में अपना सर मत धुन !
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