भारत अब एक युवा राष्ट्र है . इसकी सबसे ज़्यादा आबादी युवा की है . युवा को बढ़िया जिंदगी चाहिये . उसे ज़्यादा आमदनी चाहिये . पुराने उद्योगों में नौकरियां कम हो रही हैं . पूंजीपति लोग मजदूरों को निकाल कर मशीने लगा रहे हैं . सरकार किसी पूँजीपति पर ये शर्त लगा ही नहीं रही है कि आपको अगर भारत की ज़मीन मिली है और आप भरत में मुनाफा कमा रहे हैं तो आपको भारत के युवाओं को रोज़गार भी देना पड़ेगा . रोज़गार बढ़ाने के लिये भारत के नए संसाधन युक्त इलाकों में पूंजीपति जा रहे हैं . सरकार की फौज़ें उन इलाकों से गरीबों को मार मार कर भगा रही हैं .
लेकिन शिक्षित युवाओं को इन गरीबों पर मार पड़ने से कोई मतलब नहीं है. उसे अपना भविष्य बनाना है बस . युवा किसी ऐसे व्यक्ति को अपना नेता चुनना चाहता है जो जल्द से जल्द ज़्यादा से ज़्यादा अमीर बना सके . और इस तरह की अमीरी के बीच में आने वाली किसी भी रुकावट की कोई परवाह ना करे .
इस नए भारतीय युवा के लिये विकास का बराबर बंटवारा , समानता , लोकतन्त्र , मिल बाँट कर जीना बिल्कुल अजनबी शब्द हैं . हमारा आर्थिक विकास , नए मकान , नई गाडियां , फ्लाई ओवर , शापिंग माल , चौबीस घंटे बिजली ,हर समय पूरे प्रेशर से पानी . चमचमाती हुई सडकें बस यही इस नए युवा के मस्तिष्क में छाये हुए चित्र हैं .
इस युवा की नज़र के सामने मरते हुए किसान नहीं हैं , इसके सामने विस्थापित आदिवासी भी नहीं हैं ,इसके इस विकास लिये कितनी हिंसा की जा रही है इसको पता ही नहीं है .
इसलिये इस युवा को खूंखार , अपराधी दबंग नेता चुनने में कोई हिचकिचाहट नहीं है .
इस युवा को अब मोदी जैसा नेता चाहिये . जो किसी मानवाधिकार आदि बेकार की रुकावट के चक्कर में ना पड़ कर बस इस युवा का आर्थिक विकास करवा दे.
कांग्रेस इस मोदी सिंड्रोम से घबराई हुई है . इसलिये कांग्रेस अपना मोदीकरण करने में जुटी हुई है . कांग्रेस को लगता हैं कि मोदी हिन्दू युवा को अपने मुस्लिम विरोधी तेवर के कारण प्रभावित कर पा रहा है . इसलिये कांग्रेस भी इस हिन्दू युवा को खुश करके अपने साथ लाने के लिए जान बूझ कर मुस्लिम आतंकवाद का दैत्य खड़ा करने की कोशिश में लगी हुई है .
अफजल की फांसी ,हैदराबाद के धमाके और लियाकत की गिरफ्तारी इस बात का को समझने के लिये बिल्कुल ताज़ा उदहारण हैं .
खतरनाक बात यह है कि एक बार अगर ये साम्प्रदायिक राजनीति का जिन्न बोतल से बाहर आ गया तो इसे फिर वापिस बोतल में डालना बहुत मुश्किल हो जायेगा .
भारत बहु सांस्कृतिक बहु धर्मिक , बहु भाषी नया राष्ट्र है . इसमें अगर सबसे बड़े धर्मिक समूह ने दूसरे समूहों को दबाने की कोशिश करी तो उनमे असुरक्षा की भावना उठ खड़ी होगी .
देश की आजादी और एकता को सबसे बड़ा खतरा आज़ादी के बाद अब सामने आ खड़ा हुआ है . इस समय भारत को ऐसी राजनीति की ज़रूरत है जो विकास के कारण होने वाली हिंसा को रोक सके . बहुसंख्यकों की आक्रामकता को हतोत्साहित कर सके . अल्पसंख्यकों और छोटे छोटे समूहों के साथ खड़ी दिखाई दे .
ये समय प्रगतिशील राजनैतिक, सामाजिक ,सांस्कृतिक शक्तियों के एकजुट होकर सामने आने का है .
लेकिन शिक्षित युवाओं को इन गरीबों पर मार पड़ने से कोई मतलब नहीं है. उसे अपना भविष्य बनाना है बस . युवा किसी ऐसे व्यक्ति को अपना नेता चुनना चाहता है जो जल्द से जल्द ज़्यादा से ज़्यादा अमीर बना सके . और इस तरह की अमीरी के बीच में आने वाली किसी भी रुकावट की कोई परवाह ना करे .
इस नए भारतीय युवा के लिये विकास का बराबर बंटवारा , समानता , लोकतन्त्र , मिल बाँट कर जीना बिल्कुल अजनबी शब्द हैं . हमारा आर्थिक विकास , नए मकान , नई गाडियां , फ्लाई ओवर , शापिंग माल , चौबीस घंटे बिजली ,हर समय पूरे प्रेशर से पानी . चमचमाती हुई सडकें बस यही इस नए युवा के मस्तिष्क में छाये हुए चित्र हैं .
इस युवा की नज़र के सामने मरते हुए किसान नहीं हैं , इसके सामने विस्थापित आदिवासी भी नहीं हैं ,इसके इस विकास लिये कितनी हिंसा की जा रही है इसको पता ही नहीं है .
इसलिये इस युवा को खूंखार , अपराधी दबंग नेता चुनने में कोई हिचकिचाहट नहीं है .
इस युवा को अब मोदी जैसा नेता चाहिये . जो किसी मानवाधिकार आदि बेकार की रुकावट के चक्कर में ना पड़ कर बस इस युवा का आर्थिक विकास करवा दे.
कांग्रेस इस मोदी सिंड्रोम से घबराई हुई है . इसलिये कांग्रेस अपना मोदीकरण करने में जुटी हुई है . कांग्रेस को लगता हैं कि मोदी हिन्दू युवा को अपने मुस्लिम विरोधी तेवर के कारण प्रभावित कर पा रहा है . इसलिये कांग्रेस भी इस हिन्दू युवा को खुश करके अपने साथ लाने के लिए जान बूझ कर मुस्लिम आतंकवाद का दैत्य खड़ा करने की कोशिश में लगी हुई है .
अफजल की फांसी ,हैदराबाद के धमाके और लियाकत की गिरफ्तारी इस बात का को समझने के लिये बिल्कुल ताज़ा उदहारण हैं .
खतरनाक बात यह है कि एक बार अगर ये साम्प्रदायिक राजनीति का जिन्न बोतल से बाहर आ गया तो इसे फिर वापिस बोतल में डालना बहुत मुश्किल हो जायेगा .
भारत बहु सांस्कृतिक बहु धर्मिक , बहु भाषी नया राष्ट्र है . इसमें अगर सबसे बड़े धर्मिक समूह ने दूसरे समूहों को दबाने की कोशिश करी तो उनमे असुरक्षा की भावना उठ खड़ी होगी .
देश की आजादी और एकता को सबसे बड़ा खतरा आज़ादी के बाद अब सामने आ खड़ा हुआ है . इस समय भारत को ऐसी राजनीति की ज़रूरत है जो विकास के कारण होने वाली हिंसा को रोक सके . बहुसंख्यकों की आक्रामकता को हतोत्साहित कर सके . अल्पसंख्यकों और छोटे छोटे समूहों के साथ खड़ी दिखाई दे .
ये समय प्रगतिशील राजनैतिक, सामाजिक ,सांस्कृतिक शक्तियों के एकजुट होकर सामने आने का है .
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- Faisal Anurag, Kailash Mina, Rpi Ashokkumar Bhatti and 74 others like this.
- Rajeev Ranjan Prasad जैसे तिब्बत का भूगोल बदला है? न युवा मानसिकता का सामान्यीकरण किसी विचार के साथ हो सकता है न ही इतिहास और भूगोल का। इतिहास भी अन्याय की दास्तानों से भरे हुए हैं और भूगोल भी क्रूरताओं के कारण से ही बदले गये हैं।
- Himanshu Kumar बेशक तिब्बत का मामला भी उठाना चाहिये . लेकिन दिक्कत यह है की राजीव जी आपकी पार्टी भाजपा उस मुद्दे पर भी गाल बजाने के अलावा कुछ नहीं करती ..
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