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Tuesday, April 16, 2013

जेल की 65 फीसद आबादी एससी, एसटी और ओबीसी

जेल की 65 फीसद आबादी एससी, एसटी और ओबीसी



जेल की 65 फीसद आबादी एससी, एसटी और ओबीसी

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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

मुसलमानों को लेकर हमारे देश में यह धारणा फैली हुई है कि जेलों में इनकी संख्या सबसे अधिक है. मुस्लिम व सामाजिक विषयों पर काम करने वाले संगठनों के बीच भी इसी तरह के नकारात्मक भाव हैं. लेकिन नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ें कुछ और ही हक़ीक़त बयान कर रहे हैं.

सच्चाई यह है कि मुसलमानों से इतर दूसरे जो अल्पसंख्यक हैं, उन्हें भी न्याय-अन्याय की चक्की में पीसना पड़ रहा है. नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ें कहते हैं कि देश के कुल कैदियों में  28 फीसदी अल्पसंख्यक कैदी जेलों में बंद हैं. जबकि देश की आबादी में इनकी हिस्सेदारी मात्र 20 फीसद है. यदि जातिगत आधार पर इन जेलों में बंद कैदियों की स्थिति का जायजा लें तो 65 फीसदी कैदी एसटी, एससी व ओबीसी हैं. ये जातियां हिन्दुस्तान में पिछड़ी व गरीब मानी जाती हैं. अर्थात् समाजशास्त्रीय तरीके से देखा जाए तो अपराध करने, कराने के पीछे इनकी आर्थिक विपन्नता भी एक कारण हो सकती है.

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जेलों में बंद धार्मिक अल्पसंख्यकों की बात की जाए तो 2011 के अंत तक 20.1 फीसदी मुसलमान जेलों में बंद हैं. जबकि 2001 के जनगणना के अनुसार देश की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 13.43 फीसदी है. जेलों में बंद मुसलमानों के इस आकड़ों का हवाला देकर धार्मिक व सामाजिक संगठन यह कहते रहते हैं कि हिन्दुस्तान में मुस्लमानों के साथ ही ज्यादा जुल्म हो रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है. सिक्ख समुदाय के 4 फीसदी लोग जेलों में बंद हैं, जबकि आबादी के लिहाज से इनकी जनसंख्या देश में मात्र 1.87 फीसद है. ईसाई समुदाय के 3.47 फीसद लोग जेलों में बंद हैं जबकि हिन्दुस्तान की आबादी में उनका योगदान 2.34 फीसदी है.

आंकड़े यह भी बताते हैं कि 17.84 फीसदी मुसलमान, 4.88 फीसदी सिक्ख और 3.85 फीसदी ईसाई कैदियों पर ही आरोप तय हो पाया है. बाकी 21.23 फीसदी मुसलमान, 3.53 फीसदी सिक्ख और 3.19 फीसदी ईसाई कैदी फिलहाल अंडर ट्रायल हैं. वहीं 26.53 फीसदी मुसलमान व 10.37 फीसदी ईसाईयों को डिटेंन किया गया है.

यही नहीं, नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो से 2011 के अंत तक के प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में कुल 1382 जेल हैं. इन 1382 जेलों में अधिक से अधिक 3,32,782  कैदियों को रखा जा सकता है, लेकिन 3,72,926 कैदी जेलों में अपनी सज़ा काट रहे हैं. साल 2011 में 13,73,823 अंडर ट्रायल कैदियों को रिहा कर देने के बाद भी 2,41,200 यानी 64.7 फीसदी लोग अभी भी अंडर ट्रायल हैं. यही नहीं,  2,450 लोगों को सिर्फ शक की बुनियाद पर गिरफ्तार किया गया है.

यही नहीं, नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो से प्राप्त आंकड़े यह भी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के जेलों में मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक है. इस समय  (2011 के अंत तक) लगभग 25 फीसदी से अधिक मुसलामन उत्तर प्रदेश के विभिन्न जेलों में है. उत्तर प्रदेश के बाद नम्बर पश्चिम बंगाल का है. यहां जेलों में मुसलमानों का आबादी लगभग 45 फीसदी है. यानी प्रतिशत के लिहाज सबसे ज्यादा इसी राज्य में मुसलमान जेलों में बंद हैं. लेकिन आबादी के लिहाज़ उत्तर प्रदेश एक नम्बर पर है. और अगर बात डिटेंसन की कीजाए तो इस मामले में तमिल नाडू सबसे आगे है, उसके बाद जम्मू कश्मीर का नम्बर है.

इस प्रकार नेशनल क्राइम रिकार्ड व्यूरों से प्राप्त ( 2011 के अंत तक ) ये आकड़े यह बताने के लिए पर्याप्त है कि हिन्दुस्तान में न्याय-अन्याय की चक्की में सभी पीस रहे हैं चाहे वे मुसलमान, सिक्ख, ईसाई अथवा एस, एसटी, ओबीसी ही क्यों न हो.

 

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DEMOGRAPHIC PARTICULARS OF UNDERTRIAL PRISONERS AT THE END OF 2011

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DEMOGRAPHIC PARTICULARS OF DETENUES AT THE END OF 2011

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